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कविता

खोकर हम खोजते हैं आजा

जीत नाराइन


खोकर हम खोजते हैं आजा
बातें तो हैं बीत गई आजी
भाव कैसे बीतेगा आजा
रीति की कौन नीति है आजी
जीव नहीं मानता है आजी मेरा
मन नहीं है राजी जब तक
खोकर हम खोजते हैं नाना
दिल पर तुम्‍हारे क्‍या बीती है नानी
इतिहास कैसे हम जानें नाना
किस्‍सा भी भूल गई नानी
जीव नहीं मानता है नानी मेरा
सुनेंगे नहीं कहानी जब तक

क्‍या तुम्‍हें सिखाएँ बेटा
बिटिया क्‍या बताएँ तुम्‍हें
सीखा है जो अब तलक
खुद को भुलाने के लिए है सब
जीव नहीं मानता है मेरा
शरमाता है फूल के हाल पर

 


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